Thursday, 14 September 2023

हिंदी दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन

आज दिनांक 14 सितम्बर 2023 को राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांधला शामली में हिंदी दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ  संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहीं महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो.प्रमोद कुमारी द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर एवं प्रतिमा पर  पुष्पार्पण कर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वनस्पति विभाग के प्रोफेसर डॉ बृजेश राठी ने सभी को हिंदी दिवस की बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि आजादी की लड़ाई के समय महात्मा गांधी भी हिंदी को राष्ट्रभाषा के पक्ष में थे लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान सभा में संप्रभुता को लेकर दक्षिण के कुछ राज्यों ने हिंदी को थोपने का विरोध किया । संविधान सभा ने 14 सितम्बर1949 को राजभाषा का दर्जा दिया। और 14 सितम्बर1953 से हिंदी दिवस मनाए जाने की घोषणा हुई। राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए 1975 से विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।विश्व के कई देशों जैसे फ़िजी, मॉरीशस और सूरीनाम में हिंदी का प्रयोग बढ़ा है। उन्होंने आगे कहा कि विश्व के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। लेकिन अभी भी हिंदी के सामने कई चुनौतियां भी हैं। हिंदी अभी भी तकनीकी और विज्ञान की भाषा नहीं बन पाई उसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना पड़ेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्राचार्य प्रो. प्रमोद कुमारी ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी  हमारी राष्ट्रभाषा के साथ-साथ  मातृभाषा भी है और शासकीय कार्य की भाषा भी हिंदी है। उन्होंने आगे कहा कि  देश के अधिकांश लोग जिस भाषा में अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं उसे राष्ट्रभाषा कहते है।हमारे विचारों एवं संवेदना की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम हिंदी है। रामधारी सिंह दिनकर, डॉ हरिओम पवाँर एवं माखनलाल चतुर्वेदी जैसे कवियों ने अपनी कविताओं के द्वारा युवाओं में देश प्रेम का भाव जगाया। गया प्रसाद सनेही के पंक्तियां ' जिसको न निज गौरव तथा, निज देश का अभिमान है।
वह नर नहीं, नर पशु निरा है और मृतक समान है।'  और सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता ' चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी' के द्वारा छात्राओं में राष्ट्रप्रेम एवं राष्ट्रभाषा के प्रति उत्साह  पैदा किया। उन्होंने आगे कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय 'हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान' का नारा प्रसिद्ध हो गया था। भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने  कहा है कि ' निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति के मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटै न हिय के शूल' ने हिंदी के महत्व को स्वीकार है। आज हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। विश्व मे हिंदी का प्रयोग दिनोदिन बढ़ रहा है। आज हमें हिंदी भाषा में भी विज्ञान, चिकित्सा एवं तकनीकी के क्षेत्र में  भी हिंदी की अच्छी किताबों की उपलब्धता होनी चाहिए जिससे शोधार्थी  हिंदी के प्रति आकर्षित हों। हिंदी दिवस समारोह में महाविद्यालय की छात्राओं ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया। उन्होंने स्वरचित कविताओं एवं भाषणों के द्वारा हिंदी के महत्व एवं उसकी उपयोगिता को बताया। कार्यक्रम में  डॉ सीमा सिंह व  डॉ नयना शर्मा तथा महाविद्यालय की छात्राएं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का आयोजन एवं संचालन हिंदी विभाग के प्रवक्ता डॉ श्याम बाबू द्वारा किया गया।