राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांधला शामली मे आज दिनांक 30-1-2022 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि पर शहीद दिवस का आयोजन जूम ऐप पर ऑन लाइन माध्यम से किया गया।
सर्व प्रथम पूर्वान्ह 11 बजे दो मिनट का मौन रख कर महात्मा गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। इसके पश्चात ' लोक मानस के हृदय मे प्रतिष्ठित बापू ' विषय पर गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमे मुख्य वक्ता के रूप प्राचार्या प्रो श्रीमती प्रमोद कुमारी ने कहा कि बापू भारत के जन जन के हृदय में बसे हुए हैं, उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। वे विश्व के महानतम व्यक्तियों मे से एक हैं। इसीलिए भारत की पहचान पूरे विश्व में गांधी जी के नाम से ही होती है। उन्होंने कहा कि गांधी जी की हत्या एक क्रूर कृत्य था जिसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। लेकिन उनकी हत्या करके भी उनके विचारों को दबाया नहीं जा सका। वे भारत की जनता के हृदय में बसे हुए हैं इसीलिए लोक मानस मे लोकगीतों के माध्यम से उनको याद किया जाता है। जिस प्रकार झांसी की रानी, भगत सिंह, आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों पर लोकगीत गाये जाते हैं उसी प्रकार महात्मा गांधी जी को भी कविताओं, गीतों व साहित्य के जरिये जनता याद रखे हुए है। स्वतंत्रता आंदोलन में गांधीजी चंपारण सत्याग्रह से भारत के लोक जीवन मे बस गए थे तभी तो लोग उन्हे श्री राम कृष्ण की तरह अवतार मानने लगे थे। उस समय के लोकगीतों में गाया जाता था कि अवतार लिया था गांधी ने भारत आज़ाद कराने को। श्री राम ने रावण को मारा कृष्ण ने कंस को मारा, गांधी प्रकट हुए भारत को स्वराज दिलाने को।इसके अतिरिक्त उस समय स्त्रियाँ अपने पतियों से कहती हैं कि अब ना जाओ विदेशिया, अब कातो चरखवा। कहने का तात्पर्य यह है कि गांधी जी यहाँ के लोक जीवन मे बसते थे। उन्हे बापू तभी कहा गया जब उन्होंने यहाँ की गरीब शोषित व अंग्रेज़ी अत्याचार से पीड़ित जनता के दुःख दर्द को समझा तभी तो कहा गया कि चल पड़े जिधर दो डग मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर, पड़ गई जिधर एक दृष्टि गड गए कोटि दृग उसी ओर।
गांधी जी को उस समय के विश्व के सबसे विशाल साम्राज्य के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने उन्हे अर्धनग्न फकीर कहा था,उसी फकीर ने विश्व के विशालतम साम्राज्य की नींव को हिला कर रख दिया।
उन्होंने कहा कि गांधी जी न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि भारत की आध्यात्मिक चेतना के प्रतीक भी थे। उन्होंने सर्व धर्म समभाव का मंत्र दिया जो भारत जैसे विभिन्न धर्म , पंथ व जातियों से निर्मित विविधतापूर्ण राष्टृ को एकता के सूत्र मे बांधे रखने के लिए आवश्यक है। आज कोरोना महामारी के दौर में पूरे विश्व मे गांधी मार्ग व गांधीवादी जीवन पद्धति का लोहा माना जा चुका है जो प्रकृति पर निर्भर रहने व उपभोक्तावाद से दूर रहने पर आधारित है। उन्होंने कहा कि महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे मे कहा था कि आने वाली पिढियाँ शायद यकीन भी न करें कि गांधी जैसा हाड़ मांस का कोई मनुष्य इस पृथ्वी पर था वे वास्तव में महामानव थे। हमें उनके दिखाये मार्ग पर चलना चाहिए तभी भारत विश्व गुरु बन सकता है।
राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता डा. पंकज चौधरी ने कहा कि गांधी जी ने कर्म की प्रधानता व आचरण की शुद्धता तथा साधन की पवित्रता पर बल दिया। उनका सबसे बड़ा योगदान यही है कि आजादी की लडाई को उन्होंने जनांदोलन मे परिवर्तित कर दिया अतः आजादी भारत के जन जन का सवाल बन सकी।
संचालन समारोहक डा. रामायन राम ने किया। इस अवसर पर समस्त प्राध्यापक व अच्छी संख्या में छात्राएं जुडी रहीं