Monday, 24 January 2022

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयन्ती


राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांधला शामली मे आज दिनांक 23-1-2022 को "नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती" समारोह आयोजित किया गया। कोविड की तीसरी लहर के कारण महाविद्यालय में ऑन लाइन शिक्षण कार्य किया जा रहा है व छात्राओं के भौतिक रूप से उपस्थिति निषेध है । इस कारण सुभाष चंद्र बोस की जयंती के कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन किया गया। इसके तहत आज 'भारत की आजादी की लडाई मे सुभाष चंद्र बोस का योगदान ' विषय पर गोष्ठी का आयोजन ज़ूम ऐप पर आयोजित की गई। 

    आज समारोह के मुख्य वक्ता महाविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के प्रवक्ता डा. विशाल कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उन्होंने जीवन पर्यंत देश की एकता व अखण्डता के लिए सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। भारत के निर्वासित सरकार को स्थापित किया। भारत की आज़ादी में योगदान के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया। उन्होंने नारा दिया "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा"। आगे उन्होंने कहा कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस  करीब 15 साल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और 1938 व 1939 में कांग्रेस के हरिपुरा व त्रिपुरी अधिवेशन की अध्यक्षता भी की। टोकियो जाते हुए फारमोसा द्वीप के बाद अचानक हवाई जहाज में आग लग जाने से सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त 1945 को उनकी मृत्यु हो गयी लेकिन भारत सरकार द्वारा जांच के लिए जो दो कमेटी गठित की गई थी दोनों ने अलग अलग निष्कर्ष दिया है । आधिकारिक सूचना के आधार पर यह माना जाता है कि जापान के बौद्ध मंदिर में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियों को रखा गया है। आज भी भारत के जन प्रतिनिधि जब भी जापान यात्रा पर जाते हैं तो उनके अस्थिकलश पर श्रद्धा सुमन जरूर अर्पित करते हैं।

     

       अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो श्रीमती प्रमोद कुमारी ने कहा कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का भारतीय स्वतंत्रता में योगदान अविस्मरणीय है उन्होंने 1943 ई० में आजाद हिन्द फ़ौज का गठन किया जिसमें फ़ौज को तीन ब्रिगेड में विभाजित किया । महिलाओं को बराबर का हक और सम्मान देने के लिए उन्होंने महिलाओं को भी आजाद हिंद फौज में शामिल किया तथा उनके ब्रिगेड का नाम 'लक्ष्मीबाई रेजीमेंट' रखा। नेता जी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे उन्होंने 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों द्वारा ली जाने वाली ICS की परीक्षा को पास किया लेकिन उस सेवा में न जा के राष्ट्र सेवा को अपना लक्ष्य बनाया। 

     उन्होंने आगे कहा कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने 1944 में स्वयं को सिंगापुर में स्थापित निर्वासित भारत सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री घोषित किया। पंडित जवाहर लाल नेहरू जी तो आजादी के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे। लेकिन अंग्रेजों के शासन के समय वह निर्वासित भारत सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री थे जिसको अन्य कई देशों ने मान्यता दी थी । नेता जी ने दिल्ली चलो का नारा देकर लोगों को आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जाति, धर्म व क्षेत्र के आधार पर कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया इसीलिए अपनी फौज में सभी को साथ लेकर चले। उन्होंने छात्राओ से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से प्रेरणा लेने का आहवान किया तथा उनके दिखाये राष्ट्रभक्ति के मार्ग पर चलने का आहवान किया। 

  इस अवसर पर समस्त प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। अच्छी संख्या में छात्राएं भी जुड़ी रहीं।