Monday, 24 January 2022

उत्तरप्रदेश दिवस का आयोजन

 राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय  कांधला शामली में आज दिनांक 24-1-2022 को 'उत्तर प्रदेश दिवस ' का आयोजन किया गया।इसके तहत शासन के निर्देशो के अनुरूप ऑन लाइन माध्यम से कार्यक्रम आयोजित किये गए। ज़ूज्म ऐप पर परिचर्चा व पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। 

 इस अवसर पर 'उत्तर प्रदेश : इतिहास, वर्तमान व् भविष्य ' विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। 

     प्रमुख वक्ता के तौर पर राजनीतिक विज्ञान के प्राध्यापक डॉ पंकज चौधरी ने समस्त छात्राओं को उत्तर प्रदेश दिवस की बधाई देते हुए इस दिवस को मनाने के पीछे के उद्देश्य के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बालिकाओं को उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक, भौगोलिक एवं राजनीतिक इतिहास को बताते हुए उत्तर प्रदेश की महत्वता को बताया। अपने व्याख्यान में उन्होंने यह बताया कि किस प्रकार उत्तर प्रदेश भारत के ना केवल पौराणिक अपितु मध्यकालीन इतिहास का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहर जैसे कि मथुरा, अयोध्या, प्रयागराज एवं बनारस भारत की पौराणिक धरोहर को दर्शाते हैं। उसी प्रकार भारत के मध्यकालीन इतिहास में भी यह देखा गया की विभिन्न शासकों द्वारा उत्तर प्रदेश को एक प्रमुख रूप में सदैव देखा गया मौर्य काल, गुप्त काल एवं हर्ष वर्धन काल इसका एक उचित उदाहरण हो सकते हैं। मुगल काल में भी उत्तर प्रदेश को सदैव एक प्रमुख भाग में देखा गया। 1506 में मुगल शासक शाहजहां द्वारा उत्तर प्रदेश के शहर आगरा को अपनी राजधानी बनाना उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक महत्वता को दर्शाता है।

इसके उपरांत महाविद्यालय के विभिन्न प्राध्यापक गण डॉ बृजभूषण ने उत्तर प्रदेश की वर्तमान आर्थिक प्रगति के विषय मे बताया। डॉ बृजेश राठी व डॉ रामायण राम ने छात्राओं को इस दिवस पर उत्तर प्रदेश के इतिहास के बारे में अवगत कराया।

    इसके उपरांत कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो श्रीमती प्रमोद कुमारी ने अपने वक्तव्य में छात्राओं को उत्तर प्रदेश के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि 1856 मे अवध रियासत ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन हो गया, सन् 1858 मे भारत पर महारानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र के साथ भारत पर अंग्रेजो का शासन प्रारंभ हुआ। अवध व पश्चिमोत्तर प्रांत को मिला कर संयुक्त प्रांत का गठन हुआ । 1902  मे  संयुक्त प्रांत नाम दिया गया। सन् 1950 मे नये संविधान लागू होने के साथ ही 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश नाम दिया गया। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन मे उप्र का विशेष स्थान है। 1857 मे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल मेरठ से ही फूँका गया। झांसी की रानी, नाना साहब, तात्या टोपे इत्यादि क्रांतिकारी उप्र से ही हुए। मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, आचार्य नरेंद्र देव, मदन मोहन मालवीय इत्यादि सेंनानी उप्र से ही थे। एक तरह से उत्तर प्रदेश भारत की आज़ादी की लडाई का केंद्र रहा। इलाहाबाद के आनंद भवन कांग्रेस के मुख्यालय की तरह था। असहयोग आंदोलन में उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद प्रमुख रूप से राजनीति का केंद्र रहा। 4 फरवरी 1922 चौरी चौरा की घटना के बाद यह आंदोलन स्थगित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश के साहित्यकारों मैथिली शरण गुप्त, सुभद्रा कुमारी चौहान प. सोहन लाल द्विवेदी इत्यादि कवियों ने देश भक्ति की कविताओं के जरिये राष्टृ प्रेम की भावना का संचार किया। उप्र को राजनैतिक, सांस्कृतिक व् आर्थिक दृष्टि से भारत का हृदय स्थल कहा जा सकता है।उप्र से प. नेहरू, श्री लाल बहादुर शास्त्री, श्रीमती इंदिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, वीपी सिंह, चंद्रशेखर व श्री अटल बिहारी वाजपेयी  ने प्रधानमंत्री पद को शुशोभित किया। वर्तमान मे सबसे अधिक सांसद लोकसभा व राज्य सभा में पहुँचते हैं। उत्तर प्रदेश को ही यह श्रेय जाता है कि भारत की प्रथम प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी व प्रथम मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी जी रहीं। उत्तर प्रदेश गंगा जमुनी तहज़ीब का केंद्र है। यहाँ की संस्कृति सांप्रदायिक सद्भाव की प्रतीक है। धार्मिक क्षेत्र मे हिंदू सनातन धर्म व् इस्लाम के प्रमुख धार्मिक केंद्र उत्तर प्रदेश मे ही स्थित है। 

     उन्होंने कहा कि छात्राओं को उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को कायम रखना चाहिए व् आपस मे प्रेम व् सद्भाव से रहना चाहिए। 

  

    इस समारोह में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक गण एवं छात्राएं झूम प्लेटफार्म द्वारा उपस्थित रहे।संचालन डा. रामायन राम ने किया। 

  इस मौके पर उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विशेषता विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया।