Thursday, 23 December 2021

चौधरी चरणसिंह जयन्ती

आज दिनांक 23/12/21 में चौधरी चरण सिंह जयंती का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. श्रीमती प्रमोद कुमारी ने स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया। महाविद्यालय के अन्य समस्त प्राध्यापकों ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके उपरांत आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए भौतिक विज्ञान विभाग के प्रवक्ता डॉ. विशाल कुमार ने कहा कि चौधरी चरण सिंह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री वह किसानों के मसीहा हैं। चौधरी चरण सिंह ने किसानों की राजनीतिक ताकत एवं संगठन बनाने पर बल दिया था। उनके प्रारंभिक जीवन के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि मेरठ में विज्ञान परास्नातक की डिग्री लेने के बाद चौधरी चरण सिंह जी ने गाजियाबाद में वकालत प्रारंभ की इसी दौरान स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होकर, उन्होंने देश सेवा का व्रत लिया। 1937 के प्रथम विधानसभा चुनाव के दौरान वे छपरौली विधानसभा से विधान परिषद के सदस्य चुने गए स्वतंत्रता के पश्चात लगभग सभी सरकारों में वे गृह मंत्री वित्त मंत्री और राजस्व मंत्री जैसे पदों को सुशोभित किया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और जमींदारी उन्मूलन कानून को जमीन पर उतारने के लिए उन्होंने बहुत प्रयास किए। उत्तर प्रदेश में जमींदारी उन्मूलन कार्यक्रम चलाने के लिए उनकी प्रसिद्धि पूरे विश्व में है। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह यह मानते थे कि भारत के विकास का रास्ता गांव के खेतों और खलियानों से होकर गुजरता है इसीलिए  वह कृषि के विकास पर सबसे अधिक जोर देते थे। चौधरी चरण सिंह की विरासत किसान आंदोलन और किसानों के संगठन के रूप में वर्तमान समय में भी परिलक्षित होती है।

 परिचर्चा की अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. श्रीमती प्रमोद कुमारी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में रहे हैं। उनसे अधिक लोकप्रियता अभी तक किसी अन्य नेता की नहीं रही है। चौधरी चरण सिंह न केवल राजनेता थे बल्कि वे कृषि अर्थशास्त्री के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने भारत के कृषि के विकास के लिए बहुत सारी परियोजनाएं लागू की और मंत्री रहते हुए उन्होंने कृषि के विकास के लिए बहुत प्रयास किया। प्राचार्य प्रोफेसर श्रीमती प्रमोद कुमारी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह की विरासत आज पूरे भारत में कृषि अर्थव्यवस्था के रूप में दिखती है। जो समृद्धि गांव में आज दिखाई देती है उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ चौधरी चरण सिंह का है। उन्होंने राजनीति में वंशवाद  को कभी भी बढ़ावा नहीं दिया। अपने पुत्र अजीत सिंह की बजाय उन्होंने अन्य नेताओं को राजनीति में आगे बढ़ाया। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार व अन्य राज्यो मे उन्होंने अनेक ऐसे नेताओं को  आगे बढ़ाया जो वर्तमान राजनीति में बहुत ऊंचे पदों पर पहुंचे। उन्होंने कहा की हमे चौधरी चरण सिंह के जीवन व संघर्षों  से प्रेरणा लेनी चाहिए।

परिचर्चा को डॉ. पंकज चौधरी व डॉ. बृजेश राठी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण  व अच्छी संख्याओं में छात्राएं उपस्थित रही।

संचालन समरोहक डॉ रामायन राम ने किया।