Friday, 26 November 2021

दीन दयाल उपाध्याय जयन्ती

 महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांधला शामली में आज दिनांक 25 सितंबर 2021 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की जयंती मनाई गई। 

        सर्वप्रथम महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. श्रीमती प्रमोद कुमारी ने समस्त प्राध्यापकगण के साथ पं. दीन दयाल उपाध्याय जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर पुष्प अर्पित किये।

      इस अवसर पर  'एकात्म् मानव वाद की प्रासंगिकता' विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य वक्ता डॉ. विनोद कुमार (प्राध्यापक- संस्कृत) ने

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का  परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन्होंने एकात्ममानववाद का राजनीतिक दर्शन दिया जो भारत को स्वतन्त्रताप्राप्ति के बाद शुचितापूर्ण राजनीति की राह दिखाता है। उनकी मान्यता है  कि यूरोप का राष्ट्रवाद , पूंजीवाद, साम्यवाद या समाजवाद भारत की राजनीति में प्रवेश कर भारत को उन्नत नहीं बना सकते। बल्कि हमारी स्व संस्कृति ही भारत को उसका गौरव दिला सकती है, लोगों के जीवन को सुखमय बना सकती है और सम्पूर्ण  विश्व  में शान्ति स्थापित कर सकती है।


इसी कार्यक्रम के साथ महिला प्रकोष्ठ के द्वारा मिशन शक्ति के अन्तर्गत महिला उद्यमिता विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन भी किया गया।

यह कार्यशाला महिला प्रकोष्ठ की सदस्या डॉ. अंकिता  त्यागी के निर्देशन में गृहविज्ञान विषय की छात्राओं शिवानी, कीर्ति, कोमल, निकिता, सलोनी, पायल, अमरीन, अलीना, आरुषि, शीबा, समून आदि की सहभागिता के

साथ पूर्ण हुई। गृह विज्ञान विभाग की छात्राओं ने अपने हस्तनिर्मित सूट, चादर, कुशन, फूल, मेजपोश आदि की सुंदर प्रदर्शनी आयोजित की। सर्वप्रथम कार्यक्रम का संचालन बी. ए. द्वितीय वर्ष की मन्तशा एवं नेहा चौहान  के द्वारा किया गया। डॉ अंकिता ने अपने व्याख्यान में छात्राओं के साथ नारी स्वावलम्बन  के विषय में चर्चा करते हुए उन्हे आत्मविश्वास एवं सकरात्मक सोच के साथ अपनी क्षमता एवं कला को लघु उद्योग के रुप में अपनाने के लिए प्रेरित किया।साथ ही लघु उद्योग आरम्भ करने हेतु उपलब्ध अन्नपूर्णा योजना, स्त्री शक्ति योजना, मुद्रा योजना आदि अनेक सरकारी ऋण योजनाओं के विषय में भी छात्राओं को जानकारी दी।

व्याख्यान के उपरान्त परामर्श सत्र में डॉ दीप्ति चौधरी, डॉ लक्ष्मी गौतम, डॉ नयना शर्मा, डॉ विनीता आदि ने छात्राओं की महिला उद्यमिता से संबंधित समस्याओं हेतु सुझाव दिए।

कार्यक्रम के अन्त में अध्यक्षता कर रहीं महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो० श्रीमती प्रमोद कुमारी ने अपने वक्तव्य में पं दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन परिचय के विषय में बताया। 25 सितंबर 1916 को मथुरा के एक गाँव मे उनका जन्म हुआ। उनके जन्म के दो वर्ष के पश्चात ही उनके पिता का देहांत हो गया। उसके कुछ ही समय बाद उनकी माता का भी टी.बी. से निधन हो गया था। वे बहुत मेधावी छात्र थे। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा भी पास की। लेकिन उन्होंने अपना जीवन समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने अंत्योदय की विचारधारा का प्रतिपादन किया जिसके माध्यम से समाज के सबसे अंतिम पायदान पर रहने वाले व्यक्ति तक आर्थिक और सामाजिक न्याय का लाभ पहुँच सके। उनका जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा। 1968 मे दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से मुगल सराय रेलवे स्टेशन पर उनका मृत शरीर मिला था। दीन दयाल जी का योगदान भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्य के संवर्धन के लिए समर्पित था। हमें उनके जीवन व विचार से प्रेरणा लेनी चाहिए। साथ हीअपने उद्बोधन में छात्राओं को सशक्त एवं सुसंस्कृत बनने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर डॉ. रामायन राम ने संचालन किया और डॉ . बृजभूषण,  डॉ बृजेश राठी, डॉ  विशाल कुमार, डॉ  विजेंद्र सिंह, डॉ  प्रदीप कुमार, डॉ  श्याम बाबू,  आदि उपस्थित रहे।