Friday, 26 November 2021

हिन्दी दिवस



आज दिनाँक 14/09/2021 को राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांधला, शामली में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत महाविद्यालय की छात्राओं ने हिंदी भाषा के महत्त्व को रेखांकित करते हुए स्वरचित कविताओं का पाठ किया तथा इस अवसर पर  ''हिंदी भाषा का वर्तमान परिदृश्य एवं भविष्य की चुनौतियाँ '' विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन भी किया गया।


     सर्वप्रथम महाविद्यालय के वरिष्ठतम प्राध्यापक डॉ बृज भूषण ने माँ सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष द्वीप प्रज्वलित कर व माल्यार्पण कर  कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उपस्थित समस्त प्राध्यापकगण ने माँ सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित किया। 

      इसके उपरांत महाविद्यालय की छात्राओं महक, सदफ़, शिवानी, मंतशा और कोमल ने हिंदी दिवस पर स्वरचित कविताओं का पाठ किया। 


    तत्पश्चात विचार गोष्ठी का सत्र आरम्भ हुआ।विचार गोष्ठी प्रारंभ करते हुए अंग्रेजी विभाग की प्रवक्ता डॉ दीप्ति चौधरी ने कहा कि हमें हिंदी भाषा के प्रति हीन भावना से मुक्त होना चाहिए।हिंदी विश्व की श्रेष्ठतम भाषाओं में एक है इस गर्व की अनुभूति होना तथा अपने बच्चों में अपनी मातृभाषा के प्रति आत्मविश्वास को बढ़ना अत्यंत आवश्यक है।   

   

    वनस्पति विज्ञान के प्रवक्ता डॉ बृजेश राठी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है। हिंदी लिखने और बोलने वालों संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है परन्तु हिंदी को अभी तक ज्ञान की भाषा नहीं बनाया गया है। उन्होंने अन्य विकसित देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि अपनी मातृभाषा में ही ज्ञान का मौलिक विकास संभव है। 

      संस्कृत विभाग के प्रवक्ता डॉ विनोद कुमार ने राजभाषा अधिनियम के बारे में चर्चा की और कहा कि आज़ादी के पचहत्तर वर्ष बाद भी हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हो सका है। 

     भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता डॉ विशाल कुमार ने कहा कि भारत एक बहुभाषी एवं बहुलतावादी संस्कृति वाला देश है यहां पर सभी भाषाओं और बोलियों को विशिष्ट स्थान प्राप्त है। हिंदी भाषा का विकास अन्य भारतीय भाषाओं के सहयोग से ही संभव है। हमें हिंदी को विज्ञान और तकनीक की भाषा के रूप में विकसित करना होगा। 

     शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रवक्ता डॉ प्रदीप कुमार ने कहा कि अपनी भाषा व संस्कृति के बिना किसी राष्ट्र की उन्नति नहीं हो सकती। 

        कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए समाज शास्त्र के प्रवक्ता डॉ बृजभूषण ने कहा कि भारत से बाहर पूरी दुनिया में हिंदी के महत्त्व को लोग स्वीकार कर रहें हैं। हिंदी बोलने वाली विशाल जनसंख्या के दबाव में वैश्विक बाजार को भी हिंदी भाषा को अपनाना पड़ रहा है। इससे हिंदी का प्रसार व्यापक विश्व में हो रहा है,लेकिन खेद की बात यह है कि हिंदी का सर्वाधिक विरोध भारत में ही हुआ। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारतीय राज्य विशेषकर तमिलनाडु में हिंदी विरोध की राजनीति प्रारंभ हो गयी। भाषायी आधार पर राजीनीतिक पार्टियां बन गयी जो अपने राजनीतिक लाभ के लिए हिंदी का विरोध करने लगी। उन्होंने कहा हमारे सामने चुनौती है कि हम हिन्दी को एक सर्वमान्य राष्ट्र भाषा के रूप में स्थापित कर सके। उन्होंने नई शिक्षा नीति के अंतर्गत त्रि भाषा सूत्र का जिक्र भी किया और कहा कि हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं को यथोचित सम्मान देने के लिए यह बहुत ही कारगर पहल है। 

       कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रभारी हिंदी विभाग डॉ रामायन राम ने कहा कि हिंदी एक जीवंत भाषा है जो अपने संपर्क में आने वाली अन्य भाषाओं को भी साथ में मिलाकर चलती है वह एक बहते हुए झरने के समान है। न तो हिंदी भाषा को किसी भाषा से ख़तरा है और न अन्य किसी भारतीय भाषा को हिंदी भाषा से ख़तरा होना चाहिए। हिंदी के विकास के लिए दूरदर्शी व समावेशी नीति एवं सामाजिक भागेदारी आवश्यक है। राष्ट्रागीत के साथ आयोजन का समापन हुआ। 

     इस अवसर पर गृह विज्ञान की प्रवक्ता डॉ अंकिता त्यागी, डॉ लक्ष्मी गौतम, डॉ नयना शर्मा व वाणिज्य विभाग की प्रवक्ता डॉ विनीता भी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन व संयोजन हिंदी विभाग के प्रवक्ता डॉ श्याम बाबू ने किया। इस अवसर पर अच्छी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।