राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांधला में आज दिनांक 15 मार्च 2021 को महिला प्रकोष्ठ के तत्वाधान में मिशन शक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत एक परिचर्चा आयोजित की गई इस परिचर्चा का विषय 'मोबाइल फोन का उपयोग छात्राओं के हित में है या नहीं' रहा। परिचर्चा में समून एम. ए. प्रथम वर्ष ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि मोबाइल के उपयोग से छात्राओं में सुरक्षा की भावना बढ़ी है एवं अध्ययन के लिए भी यह बहुत हितकारी है। स्वाति बी.ए. द्वितीय वर्ष ने अपने विचार प्रकट करते हुए बोला कि मोबाइल का उपयोग हितकारी है या नहीं यह हमारे नजरिए पर निर्भर करता है। हम चाहे तो इसका उपयोग अच्छे कामों के लिए कर सकते हैं अन्यथा इसकी वजह से बुराई में लिप्त हो सकते हैं।मानसी बी. ए. प्रथम वर्ष ने योगी सरकार द्वारा अश्लील वीडियो एवं कंटेंट पर रोक लगाने के कदम की सराहना की। तनु,नेहा,अंजली, शमा आदि छात्राओं ने भी परिचर्चा में सहभागिता की। प्राध्यापकों में डॉक्टर रामायण राम (हिंदी विभाग) ने कहा कि बच्चों में मोबाइल की आदत माता पिता अपने घर एवं कार्यलय के कार्यों को पूर्ण करने की वजह से बनाते हैं परंतु इसका नुकसान शारीरिक एवं मानसिक रूप से बच्चों को पहुंचता है। हमें सोशल मीडिया पर मिलने वाले बहुत से प्रलोभनों से बचना चाहिए अन्यथा हम हैकिंग एवं साइबर क्राइम से संबंधित अपराधों में फंस सकते हैं।18 वर्ष की आयु तक मोबाइल का उपयोग यदि बच्चे ना करें तो उनके लिए अधिक हितकारी रहेगा। डाॅ विजेंद्र (रसायन शास्त्र विभाग) ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट एवं गूगल जैसी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के बच्चों को 15 साल तक की आयु के लिए मोबाइल एवं इंटरनेट से दूर रखने की कोशिश करते हैं।माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे पर विश्वास तो करें परंतु उन्हें मोबाइल अथवा लैपटॉप देने से पूर्व उसमें नोटिफिकेशन की व्यवस्था करें जिससे की बच्चा जो साइट या विषय वस्तु देखे उसके विषय में माता पिता को जानकारी मिलती रहे और यदि वह गलत रास्ते पर जाता है तो वह उसको रास्ता भटकने से रोक सकते हैं। डाॅ सुनील कुमार ने बोला कि कामकाजी महिलाओं के लिए मोबाइल वरदान साबित हुआ है।मोबाइल के माध्यम से कामकाजी महिला घर व ऑफिस में सरलता से समन्वय बना लेती है। शिक्षा जगत से जुड़ी महिलाएं मोबाइल का प्रयोग कर ऑनलाइन शिक्षण कार्य कर रहीं है। डाॅ दीप्ति चौधरी (अंग्रेजी विभाग) ने अपने अनुभव रखते हुए कहा कि परिवारों में आजकल मोबाइल एवं इंटरनेट की वजह से हम परिवारों में भी अलगाव की भावना देख सकते हैं। सुरक्षा एवं अध्ययन मोबाइल के सकारात्मक पहलू है परंतु 80% से अधिक व्यक्ति इसका उपयोग मनोरंजन अथवा अफवाहों को फैलाने के लिए करते हैं। डॉक्टर बृजभूषण (समाजशास्त्र विभाग) ने इस विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि मोबाइल का उपयोग हितकारी है या नहीं यह व्यक्ति विशेष के ऊपर निर्भर करता है। हमें अपने परिवार, निकट संबंधी एवं अध्यापकों से अनेक संस्कार प्राप्त होते हैं परंतु आजकल मोबाइल से अत्यधिक निकटता के कारण हमारा संस्कारीकरण भी लगभग मोबाइल पर ही निर्भर हो गया है। मोबाइल के दुष्प्रभाव से बचने के लिए हमें 18 वर्ष की आयु तक इसके अच्छे एवं बुरे उपयोग की समझ बच्चों के अंदर विकसित करनी चाहिए। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर श्रीमती प्रमोद कुमारी ने कहा कि मोबाइल का उपयोग यदि निश्चत सीमा में किया जाए तो छात्राओं के हित में है। यदि इसका उपयोग पढ़ाई एवं अध्ययन के लिए किया जाए तो बहुत अच्छा है परंतु मनोरंजन के लिए नहीं। बच्चों के अंदर मोबाइल के उपयोग के कारण शारीरिक एवं मानसिक अस्वस्थता देखी जा सकती है। हम सभी तकनीक के गुलाम बनते जा रहे हैं एवं बच्चों के अंदर पढ़ने और लिखने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। मोबाइल का ज्यादा उपयोग करने वाले लोगों में अक्सर सर्वाइकल बीमारियां एवं मानसिक अस्वस्थता देखने को मिलती है। अतः इसका उपयोग हमें कम से कम एवं आवश्यकता पड़ने पर ही करना चाहिए। परिचर्चा में श्रीमती सीमा सिंह, डॉ पंकज कुमार, डॉक्टर बृजेश राठी, डाॅ विनोद कुमार आदि उपस्थित रहे।