Saturday, 2 January 2021

चौधरी चरणसिंह जयन्ती पर किसान दिवस का आयोजन

राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांधला, शामली में दिनांक 23 दिसंबर 2020 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के 118 वें   जयंती के  अवसर पर किसान दिवस का आयोजन किया गया। 

     इसके तहत आज महाविद्यालय में चौधरी चरण सिंह जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। डा. रामायन राम, लिपिक पिंटू लाल, किशन लाल व  मु. कादिर ने माल्यार्पण किया। 

    इसके पश्चात जूम ऐप के माध्यम से एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य वक्ता के बतौर महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के प्रभारी डा. बृजेश राठी ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि  चौधरी चरण सिंह भारत के किसानो के सच्चे हितैषी थे। उनका जन्म एक किसान परिवार मे हुआ और वे आजीवन किसानों के हित के लिए समर्पित रहे। आज़ादी के पूर्व से ही वे जन प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त प्रांत के विधान सभा के सदस्य रहे। आज़ादी के बाद उत्तर प्रदेश की विभिन्न सरकारों मे ये विभिन्न मंत्रालयों में रहे, जहाँ से वे किसानो -मजदूरों के लिए नीतियाँ बनाते रहे। 

    उन्होंने कहा कि आपातकाल के बाद चौधरी चरण सिंह केंद्र की राजनीति मे आये। आपातकाल के बाद भारत के प्रथम गैर कांग्रेसी सरकार के गठन में इन्होंने मुख्य भूमिका निभाई। मोरार जी देसाई की सरकार मे आप वित्त मंत्री, उप प्रधानमन्त्री और उसके बाद वे भारत के प्रधानमंत्री बने। 

     उनका कहना था कि चौधरी चरण सिंह जी ने भारत मे भूमि सुधार के कार्यक्रम को लागू कराने मे बहुत बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने चकबंदी कानून को लागू कराया। वे एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जाती पाँति का भी विरोध किया था। उनका मानना था कि भारत के विकास का मार्ग गाँव के खेत खलिहान से ही गुजरता है। उन्होंने अपना जीवन किसानो की भलाई के लिए समर्पित कर दिया था। 

     गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. श्रीमती प्रमोद कुमारी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी का बहुत बड़ा योगदान यह है कि उन्होंने भूमिहीन किसानों को जमीन उपलब्ध कराया। यह एक बहुत बड़ा बदलाव था जिससे भारतीय समाज का पुनर्गठन हुआ। वे किसान को देश की रीढ़ मानते थे इसलिए उन्होंने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए बहुत अच्छे कदम उठाये। उन्होंने कहा कि हमें चौधरी चरण सिंह जी के दिखाये गए रास्ते पर चलना चाहिए। 

     गोष्ठी में डा. बृजभूषण, डा. विजेंद्र सिंह, डा. विशाल कुमार, डा. सुनील कुमार, समेत अनेक छात्राएं जुड़ी रहीं। संचालन डा. रामायन राम ने किया।