राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांधला शामली में आज दिनांक ११-११-२०२० को मिशन शक्ति अभियान के अंतर्गत महाविद्यालय के हिंदी विभाग के तत्वावधान में महिला सशक्तिकरण से सम्बन्धित विषय पर कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागी छात्राओं ने नारी शक्ति की विषय वस्तु पर आधारित कविताओं का पाठ किया।
महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो श्रीमती प्रमोद कुमारी के मार्गदर्शन व उनकी उपस्थिति में यह प्रतियोगिता संपन्न हुई। इसमें डा. बृजभूषण, डा. सुनील कुमार व श्रीमती अंशु ने निर्णायक की भूमिका निभाई।
इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान बीए तृतीय वर्ष की छात्रा रिया पंवार, द्वितीय स्थान बीए तृतीय वर्ष की छात्रा प्रिया व तृतीय स्थान बीए तृतीय वर्ष की छात्रा सोनम चौहान को प्राप्त हुआ।
इसके उपरांत प्राचर्या श्रीमती प्रमोद कुमारी द्वारा छात्राओं व प्राध्यापकों को महिलाओं के सम्मान करने हेतु शपथ दिलाई गई।
इसी क्रम में आज महाविद्यालय में आज दिनान्क ११ नवम्बर को भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्म दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस भी मनाया गया। प्राचार्या प्रो श्रीमती प्रमोद कुमारी ने सर्व प्रथम मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जी के चित्र पर माल्यार्पण तथा पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों ने मौलाना आज़ाद के चित्र पर पुष्प अर्पित किया।
इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी मे डा. बृजभूषण ने कहा कि मौलाना आज़ाद ने भारत की शिक्षा व्यवस्था को आकार दिया , वे जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में प्रथम शिक्षा मंत्री थे। उनका जन्म मक्का मदीना में हुआ था लेकिन उनका जीवन भारत में गुजरा। हमे उनके कार्यों को जानना चाहिए।
प्राचार्या प्रो. श्रीमती प्रमोद कुमारी ने कहा कि मौलाना आज़ाद भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उनका जन्म मक्का में हुआ पर उनका परिवार भारत में रहा। उनका बचपन कोलकाता में व्यतीत हुआ, यहीं वे स्वामी अरविंद के शिष्य बने और उनसे ही स्वतंत्रता आंदोलन की दीक्षा ली। वे महात्मा गांधी के आंदोलन में शामिल रहे। वे एक अच्छे शायर और धर्म निरपेक्ष विचारक थे । वे भारत के नागरिकों की पहचान धर्म के आधार पर नहीं करते थे। आज़ादी के बाद वे भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बने और उन्होंने ही आई आई टी, विश्व विद्यालय अनुदान आयोग व ललित कला अकादमी जैसे संस्थाओ की नीव डाली। भारतीय शिक्षा व संस्कृति के विकास मे उनका योगदान अविस्मरणीय है।
इस अवसर पर डा. बृजभूषण, डा. बृजेश राठी, डा सुनील कुमार, डा. प्रदीप कुमार, डा. विनोद कुमार, श्रीमती सीमा सिंह, श्रीमती अंशु व डा. रामायन राम उपस्थित रहे।