Wednesday, 11 November 2020

नई शिक्षानीति के क्रियान्वयन की चुनौतियाँ

 आज दिनांक 11/11/2020 को राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांधला में आन्तरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ के तत्वाधान में  एकदिवसीय वेबिनार का आयोजन हुआ जिसका विषय था 'नई शिक्षानीति 2020 के क्रियान्वयन की चुनौतियाँ'।कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो श्रीमती प्रमोद कुमारी ने की।मुख्यवक्ता डॉ विशालकुमार ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात निर्मित भारत की शिक्षानीतियों के इतिहास एवं विशेषताओं से परिचय कराते हुए नई शिक्षानीति 2020 का स्वरूप स्पष्ट किया।और कहा कि भारतीय जनता से व्यापकरूप में सुझाव, परामर्श लेकर भूतपूर्व इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन  की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस नई शिक्षानीति की रूपरेखा तय की जिसका लक्ष्य बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारतीयों को तकनीक,अनुसन्धान एवं नवाचारों के क्षेत्र में सर्वसमर्थ बनाने के साथ साथ अपने प्राचीन ज्ञान विज्ञान एवं समृद्ध विचार परंपरा की गौरवानुभूति कराना है।तत्पश्चात् डॉ विनोद कुमार ने उपर्युक्त विषय पर अपना विशेषवक्तव्य रखते हुए नई शिक्षानीति 2020 के क्रियान्वयन की चुनौतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारतीय समाज के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती मैकाले की शिक्षापद्धति के दुष्प्रभाव ,कुकुरमुत्तों की भाँति गली मौहल्ले में खुले अंग्रेजी मीडियम स्कूल, महंगी शिक्षा व प्राचीनता के प्रति आत्महीनता की भावना आदि तत्वों को दूर करना है।इसके अतिरिक्त आरम्भिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक आमूलचूल परिवर्तन,राष्ट्रीय एवं राज्यपाठ्यचर्या का निर्माण,शिक्षक प्रशिक्षण,केन्द्र एवं राज्य के बीचसमन्वय,अपेक्षित संसाधन व कोरोना संकट से प्रभावित आर्थिकव्यवस्था में केंद्रीय बजट का 6% प्रतिशत शिक्षा व्यवस्था पर व्यय करना आदि  सरकार के सामने  महत्त्वपूर्ण चुनौतियां हैं ।अन्त में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो प्रमोदकुमारी ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि इस शिक्षानीति में संसद से सड़क तक  अर्थात गाँव की छोटी से छोटी इकाई के सदस्यों व बड़े बड़े बुद्धिजीवियों से परामर्श व सुझाव आमन्त्रित कर बनाया गया है।जिसको शीघ्रातिशीघ्र क्रियान्वित कर इसके सम्पूर्ण लक्ष्य को 2030 तक प्राप्त करना अपने आप मे एक बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है।इसके लिए छात्राओं एवं शिक्षकों को अपने स्तर पर योगदान देते हुए इसकी मूलभावना व स्वरूप को जन जन तक ,अपने आस पड़ोस के लोगों के बीच स्पष्ट करना चाहिए ताकि सभी के अन्दर अपने बच्चों के शैक्षिक भविष्य प्रति जागरूकता व उत्साह पैदा हो।आन्तरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ बृजभूषण जी ने समस्त श्रोताओ एवं मुख्यवक्ताओ का धन्यवाद ज्ञापित किया।समारोहक डॉ रामायनराम जी ने मंचसंचालन किया।वेबगोष्ठी में  डॉ ब्रिजेश राठी,डॉ सुनील कुमार,डॉ प्रदीप कुमार,डॉ पंकज कुमार,डॉ अंशू सिंह ,डॉ दीप्ति चौधरी,श्रीमती सीमासिंह व छात्राएं सम्मिलत रही।राष्ट्रगान के साथ गोष्ठी सम्पन्न हुई।