वाल्मीकि जयन्ती का आयोजन
आज ,राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,कांधला, शामली में महर्षि वाल्मीकि जयंती का आयोजन किया गया।महर्षि वाल्मीकि जयंती आश्विन शुक्ल पूर्णिमा ( जिसे शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है ) को मनाई जाती है जो कि इस बार 13 -10-2019 को है।परंतु उक्त तिथि में रविवासरीय अवकाश होने के कारण यह कार्यक्रम ,एक दिन पूर्व आज दिनांक 12-10-2019 आयोजित किया गया।
महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. विशाल कुमार,प्रवक्ता भौतिक विज्ञान,ने की।सर्वप्रथम महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।तत्पश्चात् महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों ने महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर पुष्पार्पण किया। बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा रिया जैन ने महर्षि वाल्मीकि के प्रारंभिक जीवन के प्रसंग सुनाकर उनका सामान्य जीवन परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. विशाल कुमार ने कहा कि भारतीय इतिहास में समय समय पर मनीषियों का जन्म होता रहा है,जिन्होंने भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने का कार्य किया है।महर्षि वाल्मीकि भी उनमे से एक थे।उन्होंने रामायण के माध्यम से भारतीय संस्कृति का मानदंड स्थापित किया है।उन्होंने कहा कि हमे अपने इतिहास और परंपरा के मूल्यवान धरोहरों का अध्ययन व संरक्षण करना चाहिए।क्योंकि अपनी परम्परा और सांस्कृतिक गौरव को पुनर्जीवित करके ही हम एक बार फिर से विश्वगुरु बन सकते हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन कर रहे संस्कृत विभाग के प्रभारी डॉ. विनोद कुमार ने विशेष व्याख्यान दिया।उन्होंने महर्षि वाल्मीकि और वाल्मीकि कृत रामायण की ऐतिहासिकता के विषय में बताते हुए कहा कि रामायण एक प्रामाणिक इतिहास पर आधारित ऐतिहासिक महाकाव्य है,यह मात्र कपोल कल्पना नहीं है।इस ग्रंथ के माध्यम से वाल्मीकि ने भारतीय समाज में मर्यादाएं निर्धारित करने का कार्य किया था जो हमारी संस्कृति के आधारस्तम्भ हैं।उन्होंने रामायण की टीकाओं की चर्चा करते हुए 300 रामायणों का भी उल्लेख किया जो रामायण कालीन संस्कृति के प्रचार प्रसार की परिचायक हैं।किन्तु राम के वास्तविक चरित्र व वाल्मीकि के विचार या आदर्श समाज की कल्पना को यदि जानना है तो वाल्मीकि रामायण सभी को अवश्य पढ़नी चाहिए।
अंत मे राष्ट्रगीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।कार्यक्रम के दौरान डॉ विजेंद्र सिंह,डॉ सुनील कुमार,डॉ पंकज चौधरी,श्रीमती सीमा सिंह,श्रीमती अंशु,डॉ रामायन राम, डॉ प्रदीप कुमार इत्यादि प्राध्यापक उपस्थित रहे।
आज ,राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,कांधला, शामली में महर्षि वाल्मीकि जयंती का आयोजन किया गया।महर्षि वाल्मीकि जयंती आश्विन शुक्ल पूर्णिमा ( जिसे शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है ) को मनाई जाती है जो कि इस बार 13 -10-2019 को है।परंतु उक्त तिथि में रविवासरीय अवकाश होने के कारण यह कार्यक्रम ,एक दिन पूर्व आज दिनांक 12-10-2019 आयोजित किया गया।
महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. विशाल कुमार,प्रवक्ता भौतिक विज्ञान,ने की।सर्वप्रथम महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।तत्पश्चात् महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों ने महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर पुष्पार्पण किया। बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा रिया जैन ने महर्षि वाल्मीकि के प्रारंभिक जीवन के प्रसंग सुनाकर उनका सामान्य जीवन परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. विशाल कुमार ने कहा कि भारतीय इतिहास में समय समय पर मनीषियों का जन्म होता रहा है,जिन्होंने भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने का कार्य किया है।महर्षि वाल्मीकि भी उनमे से एक थे।उन्होंने रामायण के माध्यम से भारतीय संस्कृति का मानदंड स्थापित किया है।उन्होंने कहा कि हमे अपने इतिहास और परंपरा के मूल्यवान धरोहरों का अध्ययन व संरक्षण करना चाहिए।क्योंकि अपनी परम्परा और सांस्कृतिक गौरव को पुनर्जीवित करके ही हम एक बार फिर से विश्वगुरु बन सकते हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन कर रहे संस्कृत विभाग के प्रभारी डॉ. विनोद कुमार ने विशेष व्याख्यान दिया।उन्होंने महर्षि वाल्मीकि और वाल्मीकि कृत रामायण की ऐतिहासिकता के विषय में बताते हुए कहा कि रामायण एक प्रामाणिक इतिहास पर आधारित ऐतिहासिक महाकाव्य है,यह मात्र कपोल कल्पना नहीं है।इस ग्रंथ के माध्यम से वाल्मीकि ने भारतीय समाज में मर्यादाएं निर्धारित करने का कार्य किया था जो हमारी संस्कृति के आधारस्तम्भ हैं।उन्होंने रामायण की टीकाओं की चर्चा करते हुए 300 रामायणों का भी उल्लेख किया जो रामायण कालीन संस्कृति के प्रचार प्रसार की परिचायक हैं।किन्तु राम के वास्तविक चरित्र व वाल्मीकि के विचार या आदर्श समाज की कल्पना को यदि जानना है तो वाल्मीकि रामायण सभी को अवश्य पढ़नी चाहिए।
अंत मे राष्ट्रगीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।कार्यक्रम के दौरान डॉ विजेंद्र सिंह,डॉ सुनील कुमार,डॉ पंकज चौधरी,श्रीमती सीमा सिंह,श्रीमती अंशु,डॉ रामायन राम, डॉ प्रदीप कुमार इत्यादि प्राध्यापक उपस्थित रहे।