संपादकीय


                                                       


महाविद्यालय परिवार एवं समस्त छात्राओं के लिए बड़े ही हर्ष एवं गौरवानुभूति  का विषय है कि   कम्प्यूटर एवं सोशल मीडिया के इस युग में आपका महाविद्यालय पहली बार अपनी 'ऋतम्भरा'  नामक अंतर्जाल समाचार पत्रिका प्रकाशित करने जा रहा है।महाकवि भास के 'स्वप्नवासवदत्तम्' की एक सूक्ति 'कर्तार: सुलभा लोके विज्ञातारस्तु  दुर्लभा:' यह संकेत करती है कि कार्य करना जितना महत्वपूर्ण है उससे कहीं अधिक महत्व उस कृतकार्य का दूसरों को ज्ञान कराना है।क्योंकि संसार मे करने वाले तो सुलभ  हैं किन्तु उनको जानने वाले दुर्लभ होते हैं।            गंगाजल से पवित्रित एवं आम्रकदली वन - उपवनों की सुरभि से सुवासित,  समृद्धि की परिचायिका , चतुर्दिक् शस्यश्यामला धरणी से आवृत, कांधला नामक छोटे से शहर में स्थित  राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,कांधला एक ऐसा नाम है जिसने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शिक्षा एवं निशानेबाजी जैसी लोकप्रसिद्ध खेल प्रतियोगिताओं में पदक प्राप्त कर अपनी अलग पहचान बनाई है।यहाँ पढ़ने वाली छात्राओं की प्रतिभा एवं परिश्रम का आकलन महाविद्यालय में वर्ष भर आयोजित होने  वाली शैक्षिक एवं सहशैक्षणिक गतिविधियों द्वारा किया जा सकता है जिनका दिग्दर्शन कराने हेतु  ऋत अर्थात् यथार्थता को अपने आप मे भरे हुए 'ऋतम्भरा'नामक यह अंतर्जाल पत्रिका आप सभी के समक्ष प्रस्तुत  है।
इस 'ऋतम्भरा' से  अभिभावक व जिज्ञासुजन महाविद्यालयीय गतिविधियों से तो अवगत   होंगें ही साथ ही छात्राएं अपनी  सहाध्यायी सखियों की  प्रतिभा-प्रदर्शन, उपलब्धियों व सफलताओं से प्रेरित होकर अहमहमिकया आत्मोत्थान हेतु बद्धपरिकर हो सकेंगी।इस प्रकार यह 'ऋतम्भरा' सभी की ऋतम्भरा प्रज्ञा को जागृत करते हुए उपनिषद् की निम्नलिखित सह-भावना को पुष्ट करते हुए गुरुशिष्य  दोनों की उन्नति में सहायक हो ,साथ ही स्वार्थपरायण एवं तथाकथित सनसनी समाचारों के लिए ही आरक्षित माने जाने वाली प्रिन्ट मीडिया का सम्पूरक भी बने। इन्हीं शुभाशंसाओ सहित ------ ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै।तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।। तैत्तिरीय . २/२/१                                             
डॉ. विनोद कुमार